वो वक्त ही कुछ अजीब था ,
या तो मै मासूम था ,
या फिर बदनसीब था ...
उसकी एक नज़र से ,
ऐसा वार हो गया ...
लाख संभाला खुद को मैंने ,
पर प्यार हो गया ...
उसने की थी दिल्लगी ,
और मै प्यार समझ बैठा...
उसे आदत थी मुस्कुराने की ,
और मै इकरार समझ बैठा ...
वो दोस्त समझती रही मुझको ,
अपनों से भी प्यारा ..
मै हाल ए दिल कह ना पाया ,
कर ना पाया कोई इशारा ...
एक दोस्त ने ऐसा खेल खेला ,
बन के रह गया मै खिलौना ...
इश्क की राह में जीत तुझे दिलाऊंगा,
फ़िक्र ना कर तेरे प्यार से तुझे मिलवाऊंगा ...
जाने कैसे उसकी बातों में मै आ गया ,
और दोस्त बने दुश्मन से दोखा खा गया ...
उसकी नज़र थी उस पर,
खुद से भी ज्यादा यकीं करती थी जो मुझ पर ...
मेरा सहारा लेकर ,
वो उसके करीब आ गया ....
मुझे मिला देव स्वरूप उसके दिल में ,
और वो प्यार उसका पा गया ...
आँखे खुली तो देर हो चुकी थी भारी,
फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी...
आखरी कोशिश करने की मन में ठान ली ,
और सब कुछ कहने के लिए उसकी बांह थाम ली ...
दिल में थी जो आग वो आंसुओं में बह गई ,
वो भी रोते रोते बस इतना ही कह गई ...
दुनिया के रिश्तों से बंधे हैं हम,
मिलना अपना मुमकिन नहीं...
तू फ़रिश्ता है कोई इन्सान नहीं
तेरे प्यार के काबिल मै नहीं ...
कुछ सवालों का जवाब,
मै आज भी अतीत के पन्नो में खोजता हूँ ...
वो वफ़ा थी या बेवफा थी ,
अक्सर अकेले में सोचता हूँ ....
Vartika Nanda Travelogue: Bhopal to Bhimbetka: 20 April, 2024
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।।। Bhopal to Bhimbetka ।।।
एक शहर जो हैरान करता है। भोपाल वही शहर है। इस बार इस शहर से लगे भीमबेतका को
दैखा और अब तक मेरी हैरानी चरम पर है।
The Bhimbe...
1 हफ़्ते पहले