तीन लफ्जों में कर दूँ बयाँ ,
प्यार इतना भी नहीं असाँ ...
ये तो एक एहसास है ,
जो सबसे जुदा ,सबसे खास है ,
ये ऐसा सागर है ,
जिसकी गहराई बे हिसाब है ...
प्यार पाना है अगर ,
तो इसके काबिल बनो ,
कभी दरिया ,कभी कश्ती ,
कभी भंवर तो कभी शाहिल बनो ...
कभी ये समर्पण है ,कभी ये फ़र्ज़ है ,
कभी आस्था है ,तो कभी क़र्ज़ है ...
ये इश्क का मजहब है ,
आशिकों का खुदा है ...
कोई नहीं इसके जैसा ,
ये सबसे जुदा है ...
ये शायर कि शायरी में ,
कवि कि कविता में ...
यही है बाईबल और कुरान में ,
यही है गुरुग्रंथ और गीता में ....
माना ये पूरी ज़िन्दगी नहीं ,
पर ज़िन्दगी का बड़ा हिस्सा है ,
जो कभी खतम ना हो ,
ऐसा एक किस्सा है ...
कुछ लफ्जों में कर दूँ बयाँ ,
प्यार इतना भी नहीं आसान ...