'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



दिल कि आवाज़

मै अक्सर अकेले में,
पूछता हूँ अपने दिल से ,
ऐ दिल बता तू क्या चाहता है !

सुनकर मुस्कुराता है दिल,
और कहता है मुझसे ,
आज पूछते हो तुम,
जब दफ़न हो गई हर ख्वाइश ,
तेरी जरुरत के आगे ,
दब गई मेरी आवाज़ ,
तेरी फितरत के आगे !

आज पूछते हो तुम ,
जब मजबूरियां बन गई कमजोरियां ,
तुम करते रहे समझोते हालात से ,
और बढती गई दूरियां !
जब बदल दिए रास्ते,
रुकावटों के डर से ...
सोचो क्या सोच के निकले थे घर से !

आज पूछते हो तुम ,
जब भुला चुके खुद को ही ,
आगे बढ़ने कि होड़ में ...
और पिछड़ गए हर दौड़ में ....

काश उस दिन सुनी होती मेरी आवाज़ ,
जब उठाया था पहला कदम ,
तब मै बताता क्या है तेरी मंजिल ,
और क्या है तेरा रास्ता !

ये कैसा एहसास है

बुझी नहीं बरसों से जाने कैसी ये प्यास है ,

जानता हूँ तू नहीं आएगी फिर भी तेरी आस है !!

कहता है ज़माना 'कौशिक' हो गया दीवाना ,

कोई क्या जाने तू हर पल मेरे साथ है !!

तुझे पाकर भी मै कभी पा ना सका ,

मेरे दिल में बसा हुआ तू वो एहसास है !!

भुला नहीं आँखों से तेरी बेवफाई का मंज़र ,

या खुदा ! क्यों फिर भी मुझे प्यार पे विश्वास है !!

दिल कि बात

सोचा था हँसते -हँसते करेंगे रुखसत ,

पर लबों पर हंसी ला ना सके ....

चेहरे कि उदासी ने कर दी बयाँ ,

बात दिल कि जो कभी बता ना सके ....

खो गया है भारत मेरा


जब भी मै स्वामी रामदेव जी को देखता हूँ तो हैरान हो जाता हूँ उनके सिने में जलती हुई देश प्रेम कि आग को देखकर !और सोचता हूँ काश यही आग हर भारतीय के दिल में हो ! तब वो दिन दूर नहीं होगा जब उनका देखा हुआ सपनों के भारत का निर्माण हम खुद करेंगे ! उन्ही को संबोदित करते हुए ये कुछ पंक्तियाँ ......


खो गया है भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी...

देश प्रेम और भक्ति कि ,

ज्योति दिलों में जगा दो जी ...

ये सदाचार क्या बला है ,

पूछो तो लोग बतलाते हैं,

चरित्र कि बात चले तो ,

सर शर्म से झुक जातें हैं ...

भारत स्वाभिमान कि परिभाषा ,

गौर से सभी को समझा दो जी ...

खो गया है भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ...

बैर द्वेष कि आग है दिल में ,

इन्सान -इन्सान से घबराता है,

जिसका जहाँ पर दाव चले ,

कुचल के आगे बढ़ जाता है ...

राम ,रहीम और नानक कि ,

फिर से याद दिला दो जी ...

खो गया है भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ...

महंगाई कि चक्की में ,

गरीब पीसता जाता है ...

देश हित कि बात करें जो ,

वो पागल कहलाता है ...

देशभक्ति कि वही ज्वाला ,

फिर से दिलों में जला दो जी ...

खो गया कहीं भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ....