मेरा पहला प्यार
या तो मै मासूम था ,
या फिर बदनसीब था ...
उसकी एक नज़र से ,
ऐसा वार हो गया ...
लाख संभाला खुद को मैंने ,
पर प्यार हो गया ...
उसने की थी दिल्लगी ,
और मै प्यार समझ बैठा...
उसे आदत थी मुस्कुराने की ,
और मै इकरार समझ बैठा ...
वो दोस्त समझती रही मुझको ,
अपनों से भी प्यारा ..
मै हाल ए दिल कह ना पाया ,
कर ना पाया कोई इशारा ...
एक दोस्त ने ऐसा खेल खेला ,
बन के रह गया मै खिलौना ...
इश्क की राह में जीत तुझे दिलाऊंगा,
फ़िक्र ना कर तेरे प्यार से तुझे मिलवाऊंगा ...
जाने कैसे उसकी बातों में मै आ गया ,
और दोस्त बने दुश्मन से दोखा खा गया ...
उसकी नज़र थी उस पर,
खुद से भी ज्यादा यकीं करती थी जो मुझ पर ...
मेरा सहारा लेकर ,
वो उसके करीब आ गया ....
मुझे मिला देव स्वरूप उसके दिल में ,
और वो प्यार उसका पा गया ...
आँखे खुली तो देर हो चुकी थी भारी,
फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी...
आखरी कोशिश करने की मन में ठान ली ,
और सब कुछ कहने के लिए उसकी बांह थाम ली ...
दिल में थी जो आग वो आंसुओं में बह गई ,
वो भी रोते रोते बस इतना ही कह गई ...
दुनिया के रिश्तों से बंधे हैं हम,
मिलना अपना मुमकिन नहीं...
तू फ़रिश्ता है कोई इन्सान नहीं
तेरे प्यार के काबिल मै नहीं ...
कुछ सवालों का जवाब,
मै आज भी अतीत के पन्नो में खोजता हूँ ...
वो वफ़ा थी या बेवफा थी ,
अक्सर अकेले में सोचता हूँ ....
तब याद तेरी आने पर......
जो पहले होता था ,
तब याद तेरी आने पर आँखें ही नहीं,
दिल भी रोता था ...
ख्याल तेरा आने पर खो जाता हूँ तुझ में,
पर पहले पूरी रात ना सोता था ...
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ..
.
अब ना आँखे रोती है,
और ना जिश्म तड़पता है ...
तब मिलने कि ख़ुशी में,
पागल सा हो जाता था ..
अब तो दिल भी थोडा सा धड़कता है ...
गम को अक्सर छुपा लेता था दिल में ,
पर छुप छुप के बहुत रोता था ...
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ...
हर पल बातों में तेरा जिक्र,
ख्वाबों में तेरा असर ..
कभी वफ़ा पर तो कभी तेरी बेवफाई पर,
अक्सर कुछ ना कुछ लिखता था ...
तब हर चेहरे में मुझको,
तेरा ही अक्स दीखता था ...
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ...
तब याद तेरी आने पर आँखें ही नहीं,
दिल भी रोता था .....2222222
एक मुदत के बाद मुझे उसका ख्वाब आया,
ख्वाब में उसे अपने साथ सफ़र करते पाया॥
वो मेरे सामने बैठी थी, पर पर्दा नशीं थी ,
नज़र ठहर गई चेहरे पर,जब उसने पर्दा उठाया॥
शायद पहचान ना पाई मुझको,इसीलिए पूछ बैठा ,
पूछा जो नाम ,तो पल भर के लिए चेहरा उतर आया!
सोच रहा था कैसे शुरू करूँ ,क्या उससे मै कहूँ ,
शुक्र है बताने पर ही सही ,उसे कुछ याद तो आया..
उसका चेहरा आज भी मेरी कल्पना जैसा था,
अक्सर रातों को आए किसी सपने जैसा था !
जैसी उम्मीद थी उसे कुछ वैसा ही पाया,
जब साथ बैठे लोगों से मेरा परिचय करवाया ....
गिर ना पड़ें कहीं मेरी आँखों से आंसू ,
मै जल्दी का बहाना करके घर चला आया ....
मै तो हिंदुस्तान का एक आम जन हूँ
मै तो हिंदुस्तान का एक आम जन हूँ ,
मरुस्थल में पड़ा एक छोटा सा कण हूँ !
लफ्जों का फेर भला मै क्या जानू
दिल मे आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ!
सीधा हूँ और सीधी बात करता हूँ !!
सपनो की दुनिया से बाहर निकलकर ,
यथार्त के धरातल पर ,
मन कि आँखों से, जब खुद को देखता हूँ !
मजबुरिओं कि चादर में लिपटा सा,
किसी अनजाने डर से सिमटा सा,
असहाय और बेबस सा नज़र आता हूँ !
सीधा हूँ और सीधी बात करता हूँ !
कभी समाज के ठेकेदारों से ,
कभी कानून के पहरेदारों से ,
अपने हक के लिए लड़ता हूँ ..
जानता हूँ कोई नहीं सुनने वाला ,
आदतन फिर भी शोर करता हूँ ...
सीधा हूँ और सीधी बात करता हूँ ...
कभी महंगाई की मार से ,
झूठे अश्वासन देती सरकार से .
रोज़ सरकारी दफ्तरों की कतार में,
कभी बिजली ,पानी के इंतजार में ...
आए दिन मरता हूँ ...
सीधा हूँ और सीधी बात करता हूँ ...
अनजाने पथ का अन जाना राही हूँ ,
मेरी कोई पहचान नहीं ...
मज़बूरी मेरी ख़ामोशी है ,
वरना मै बेजुबान नहीं ...
दुनिया के बाज़ार में कीमत नहीं जिसकी,
मै तो ऐसा धन हूँ ....
मरुस्थल में पड़ा एक छोटा सा कण हूँ ....
वो मिली ख्वाब में ..
वो मेरे सामने बैठी थी, पर पर्दा नशीं थी ,
सोच रहा था कैसे शुरू करूँ ,क्या उससे मै कहूँ ,
जैसी उम्मीद थी उसे कुछ वैसा ही पाया,
हुस्न कि तारीफ
प्रांतवाद का ज़हर
इश्क से इंतजार तक
इस उम्मीद में जिए जा रहा हूँ ...
कौन कमबख्त कहता है मै शराबी हूँ ,
वो तो तेरे इंतजार में पिए जा रहा हूँ ...
चाय कि चुस्कियों में अब स्वाद नहीं आता ,
कुछ भी कहो अब पिए बिना रहा नहीं जाता !
तेरे इंतजार कि घडी इतनी लम्बी हो गई ,
दर्द तन्हाई का अब सहा नहीं जाता ...
कब बीत गई रात कुछ पता ना चला ...
चार जाम पिने तक पुरे होश में था ,
बोतल कब ख़तम हुई कुछ पता ना चला ...
अब तो हर रोज़ का ये काम हो गया,
देख तेरे इश्क में क्या अंजाम हो गया ...
अच्छा होता अगर आने का वादा ना करती,
एक शरीफ इन्सान शहर भर में बदनाम हो गया ...
आज ठुकराया भी तो इस मुकाम पर तुने ,
जब सर पर क़र्ज़ बेशुमार हो गया ...
पहले पीता था तेरे इंतजार में ,
अब दर्द में पिए जा रहा हूँ ,
उठाया था जो बैंक से कर्जा ,
उसे किश्तों में दिए जा रहा हूँ ...
दिल कि आवाज़
पूछता हूँ अपने दिल से ,
ऐ दिल बता तू क्या चाहता है !
सुनकर मुस्कुराता है दिल,
और कहता है मुझसे ,
आज पूछते हो तुम,
जब दफ़न हो गई हर ख्वाइश ,
तेरी जरुरत के आगे ,
दब गई मेरी आवाज़ ,
तेरी फितरत के आगे !
आज पूछते हो तुम ,
जब मजबूरियां बन गई कमजोरियां ,
तुम करते रहे समझोते हालात से ,
और बढती गई दूरियां !
जब बदल दिए रास्ते,
रुकावटों के डर से ...
सोचो क्या सोच के निकले थे घर से !
आज पूछते हो तुम ,
जब भुला चुके खुद को ही ,
आगे बढ़ने कि होड़ में ...
और पिछड़ गए हर दौड़ में ....
काश उस दिन सुनी होती मेरी आवाज़ ,
जब उठाया था पहला कदम ,
तब मै बताता क्या है तेरी मंजिल ,
और क्या है तेरा रास्ता !
ये कैसा एहसास है
बुझी नहीं बरसों से जाने कैसी ये प्यास है ,
जानता हूँ तू नहीं आएगी फिर भी तेरी आस है !!
कहता है ज़माना 'कौशिक' हो गया दीवाना ,
कोई क्या जाने तू हर पल मेरे साथ है !!
तुझे पाकर भी मै कभी पा ना सका ,
मेरे दिल में बसा हुआ तू वो एहसास है !!
भुला नहीं आँखों से तेरी बेवफाई का मंज़र ,
या खुदा ! क्यों फिर भी मुझे प्यार पे विश्वास है !!
दिल कि बात
सोचा था हँसते -हँसते करेंगे रुखसत ,
पर लबों पर हंसी ला ना सके ....
चेहरे कि उदासी ने कर दी बयाँ ,
बात दिल कि जो कभी बता ना सके ....
खो गया है भारत मेरा
जब भी मै स्वामी रामदेव जी को देखता हूँ तो हैरान हो जाता हूँ उनके सिने में जलती हुई देश प्रेम कि आग को देखकर !और सोचता हूँ काश यही आग हर भारतीय के दिल में हो ! तब वो दिन दूर नहीं होगा जब उनका देखा हुआ सपनों के भारत का निर्माण हम खुद करेंगे ! उन्ही को संबोदित करते हुए ये कुछ पंक्तियाँ ......
खो गया है भारत मेरा ,
ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी...
देश प्रेम और भक्ति कि ,
ज्योति दिलों में जगा दो जी ...
ये सदाचार क्या बला है ,
पूछो तो लोग बतलाते हैं,
चरित्र कि बात चले तो ,
सर शर्म से झुक जातें हैं ...
भारत स्वाभिमान कि परिभाषा ,
गौर से सभी को समझा दो जी ...
खो गया है भारत मेरा ,
ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ...
बैर द्वेष कि आग है दिल में ,
इन्सान -इन्सान से घबराता है,
जिसका जहाँ पर दाव चले ,
कुचल के आगे बढ़ जाता है ...
राम ,रहीम और नानक कि ,
फिर से याद दिला दो जी ...
खो गया है भारत मेरा ,
ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ...
महंगाई कि चक्की में ,
गरीब पीसता जाता है ...
देश हित कि बात करें जो ,
वो पागल कहलाता है ...
देशभक्ति कि वही ज्वाला ,
फिर से दिलों में जला दो जी ...
खो गया कहीं भारत मेरा ,
ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ....
तीन लफ्जों में कर दूँ बयाँ ,
प्यार इतना भी नहीं असाँ ...
ये तो एक एहसास है ,
जो सबसे जुदा ,सबसे खास है ,
ये ऐसा सागर है ,
जिसकी गहराई बे हिसाब है ...
प्यार पाना है अगर ,
तो इसके काबिल बनो ,
कभी दरिया ,कभी कश्ती ,
कभी भंवर तो कभी शाहिल बनो ...
कभी ये समर्पण है ,कभी ये फ़र्ज़ है ,
कभी आस्था है ,तो कभी क़र्ज़ है ...
ये इश्क का मजहब है ,
आशिकों का खुदा है ...
कोई नहीं इसके जैसा ,
ये सबसे जुदा है ...
ये शायर कि शायरी में ,
कवि कि कविता में ...
यही है बाईबल और कुरान में ,
यही है गुरुग्रंथ और गीता में ....
माना ये पूरी ज़िन्दगी नहीं ,
पर ज़िन्दगी का बड़ा हिस्सा है ,
जो कभी खतम ना हो ,
ऐसा एक किस्सा है ...
कुछ लफ्जों में कर दूँ बयाँ ,
प्यार इतना भी नहीं आसान ...
खुली आँखों से बड़ी बेजान सी लगती है ज़िन्दगी ...
महफ़िल में जाऊँ तो रंगीन लगती है ये जिंदगी ....
तन्हाई में सोचूं तो गुमनाम है ये जिंदगी .....
खुशिओं के साए में बड़ी छोटी लगती है जिंदगी .....
गम की परछाई में बहुत लम्बी लगती है जिंदगी ....
यूं तो दोस्तों के बिना भी जीते हैं जिंदगी,
पर "कौशिक "यही है जीना तो क्या है जिंदगी...