अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ,
तब याद तेरी आने पर आँखें ही नहीं,
दिल भी रोता था ...
ख्याल तेरा आने पर खो जाता हूँ तुझ में,
पर पहले पूरी रात ना सोता था ...
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ..
.
अब ना आँखे रोती है,
और ना जिश्म तड़पता है ...
तब मिलने कि ख़ुशी में,
पागल सा हो जाता था ..
अब तो दिल भी थोडा सा धड़कता है ...
गम को अक्सर छुपा लेता था दिल में ,
पर छुप छुप के बहुत रोता था ...
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ...
हर पल बातों में तेरा जिक्र,
ख्वाबों में तेरा असर ..
कभी वफ़ा पर तो कभी तेरी बेवफाई पर,
अक्सर कुछ ना कुछ लिखता था ...
तब हर चेहरे में मुझको,
तेरा ही अक्स दीखता था ...
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था ...
तब याद तेरी आने पर आँखें ही नहीं,
दिल भी रोता था .....2222222
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18 घंटे पहले
3 टिप्पणियां:
शब्द और भाव अच्छे लगे
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
...
अब तो दिल भी थोडा सा धड़कता है ...
यहाँ से आगे चाहें तो रचना को और अच्छा बना सकते हैं
bahut khub
अब इस दर्द में वो अहसास कहाँ ,
जो पहले होता था
रिश्ते जब गर्माहट खोते है तब यही होता है
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