आंतकवादी और देश द्रोही हैं,
ये राज नेताओं के भेष में,
प्रान्त वाद का नया ज़हर,
ये फैला रहे हैं देश में !
आम आदमी कि फ़िक्र नहीं ,
ये मुद्दा नया उठाते हैं,
देश प्रेम को ढाल बनाकर,
नित सड़कों पर उतर आते हैं !
ऐसा क्या कह दिया "खान" ने,
ये पीछे पड़ गए जी जान से,
राजनिति के सांप ने देखो,
कैसा अपना रंग दिखाया,
खेल ,कला को भी बख्शा नहीं,
उसके बयान को हथियार बनाया !
लोकतंत्र का निकला दिवाला,
भक्षक बन गया खुद रखवाला,
कानून कोई नया बनाओ,
सस्ती राजनिति पर रोक लगाओ,
'कौशिक,कि बात मानो तो ,
दे दो इनको देश निकाला,
आम आदमी झुलस रहा है,
इनके आपस के द्वेष में,
प्रान्त वाद का नया जहर,
ये फैला रहे हैं देश में....
आतंकवादी और देशद्रोही हैं ,
ये राजनेताओं के भेष में .....
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