'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



बाबा रामदेव – बीती ताहि बिसारी दे आगे की सुधि ले !



स्वामी रामदेव को हस्पताल से छुटी मिलने कि ख़ुशी मेरे साथ-2 उनके सभी समर्थकों को भी होगी ! एक तरह से अच्छा हुआ कि डोक्टर ने उन्हें कुछ दिन योग ना करने और आराम करने की सलाह दी है ! इस बहाने उन्हें भविष्य कि योजना और भूतकाल कि गलतियों पर विचार करने का समय मिल जाएगा ! उन्हें ये समझना होगा कि दो नावों में सवारी करने से किनारा नहीं मिलता !जैसा कि पिछले लेख में मैंने उनकी कुछ गलतियों पर चर्चा कि बात कही थी ! ये मानने में स्वामी जी को भी गुरेज नहीं होना चाहिए कि उनसे या उनके सहयोगियों से कुछ गलतियाँ हुई हैं ! तो आइये हमारी नज़र में उनसे जो गलतियाँ हुई उन पर नज़र डालें !
पहली गलती दो नावों में सवार - स्वामी रामदेव पिछले कुछ वर्षों से खुद ये बात दोहराते रहें हैं कि कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है और वो इतनी आसानी से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए क्रांति कि जरुरत है ! और इसके लिए उन्होंने राजनितिक पार्टी का गठन करके चुनाव में उतरने का एलान भी कर दिया ! किन्तु अन्ना हजारे कि मिडिया कवरेज और सरकार का रुख देखकर जो असल में एक छलावा था वो इतने प्रभावित हो गए कि उन्होंने गांधीवादी तरीके से अनसन करने का एलान कर दिया !हालाँकि मै मानता हूँ कि इसमें उनके गाँधीवादी सहयोगियों कि राय रही होगी ! मै गाँधी विरोधी नहीं हूँ किन्तु पूर्णता गाँधीवादी भी नहीं हूँ ! आज के दौर में नेताओं के सिने में वो दिल नहीं है जिसमे सवेंदना दया या आत्मबोध हो ! वो भ्रष्टाचार से कमाई गई अपनी काली कमाई को छुपाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं !आज उन्हें उखाड़ने के लिए गाँधी कि नहीं भगत सिंह और सुभाष चंदर बोस सरीखे नेताओं कि जरुरत है !
दूसरी गलती पारदर्शिता का आभाव - आन्दोलन कि रूपरेखा तैयार होने के बाद और मिडिया कि अच्छी कवरेज को देखते हुए स्वामी जी चाहते थे कि ये आन्दोलन हर हाल में हो और दूसरी और सरकार इसे हर हाल में रोकना चाहती थी ! इसके लिए साम दाम दंड भेद जैसी हर तरह कि चाल चली और वो अपनी चाल में सफल भी हो गए ! अगर स्वामी जी ने पारदर्शिता दिखाई होती तो जनता के बीच सरकार का चेहरा सामने आता तब सरकार पर दबाव होता हम पर नहीं !
तीसरी गलती दूर द्रष्टि की कमी- जब ये अंदाज़ा हो गया था कि सरकार आन्दोलन को खदेड़ने के लिए गिरफ्तारी या कोई और फैसला ले सकती है तो हमारे पास कोई योजना नहीं थी ! पहले स्वामी जी ने एलान किया कि मै खुद को गिरफ्तार करवाने के लिए तैयार हूँ और अचानक बचाव कि मुद्रा में आ गए ! जल्दबाजी में वो ये सोचना भी भूल गए कि अगर वो निकल भी जाते तो आम जनता के बीच क्या सन्देश जाएगा !दूसरी और अगर वो अपने आपको अपने समर्थकों के साथ गिरफ्तार करवाते तो अगले दिन देश भर में जेल भरो आन्दोलन चलाया जाता जिसे जनता का भरपूर समर्थन मिलता !
चौथी गलती  आवेश एवंअति बयानबाज़ी – स्वामी जी ने आश्रम पहुँचने के बाद एक दिन में तीन तीन बार प्रेस कांफ्रेंस की जिससे उनके शब्दों का प्रभाव कम होता गया ! जैसा की कहा गया है की एक ही बात को बार बार कहने से समय उसका रस पी लेता है ! इसी कारण उनके बयान न्यूज़ में हेड लाइन नहीं बान पाए ! और आवेश में कई बार ये भूल गए की मिडिया उनके किसी भी बयान का क्या अर्थ निकल सकता है !

स्वामी रामदेव खुद इतने समझदार हैं की उन्हें आइना दिखाने की जरुरत नहीं है किन्तु कई बार ऐसा लगता है की वो खुद से ज्यादा सलाहकारों पर विश्वास करते हैं ! हमें उन पर पूरण विश्वास है और आशा करते हैं की भविष्य में उनके नेत्रत्व में हम अपने अभियान को कामयाब जरुर करेंगे !

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