'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



दिल कि बात

सोचा था हँसते -हँसते करेंगे रुखसत ,

पर लबों पर हंसी ला ना सके ....

चेहरे कि उदासी ने कर दी बयाँ ,

बात दिल कि जो कभी बता ना सके ....

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