अन्धेरें की आदत इस कदर पड़ गई 'कौशिक' कि अब तो चांदनी से भी डर लगता है ,
सोचा था हँसते -हँसते करेंगे रुखसत ,
पर लबों पर हंसी ला ना सके ....
चेहरे कि उदासी ने कर दी बयाँ ,
बात दिल कि जो कभी बता ना सके ....
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