'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



ये कैसा एहसास है

बुझी नहीं बरसों से जाने कैसी ये प्यास है ,

जानता हूँ तू नहीं आएगी फिर भी तेरी आस है !!

कहता है ज़माना 'कौशिक' हो गया दीवाना ,

कोई क्या जाने तू हर पल मेरे साथ है !!

तुझे पाकर भी मै कभी पा ना सका ,

मेरे दिल में बसा हुआ तू वो एहसास है !!

भुला नहीं आँखों से तेरी बेवफाई का मंज़र ,

या खुदा ! क्यों फिर भी मुझे प्यार पे विश्वास है !!

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