'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



खो गया है भारत मेरा


जब भी मै स्वामी रामदेव जी को देखता हूँ तो हैरान हो जाता हूँ उनके सिने में जलती हुई देश प्रेम कि आग को देखकर !और सोचता हूँ काश यही आग हर भारतीय के दिल में हो ! तब वो दिन दूर नहीं होगा जब उनका देखा हुआ सपनों के भारत का निर्माण हम खुद करेंगे ! उन्ही को संबोदित करते हुए ये कुछ पंक्तियाँ ......


खो गया है भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी...

देश प्रेम और भक्ति कि ,

ज्योति दिलों में जगा दो जी ...

ये सदाचार क्या बला है ,

पूछो तो लोग बतलाते हैं,

चरित्र कि बात चले तो ,

सर शर्म से झुक जातें हैं ...

भारत स्वाभिमान कि परिभाषा ,

गौर से सभी को समझा दो जी ...

खो गया है भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ...

बैर द्वेष कि आग है दिल में ,

इन्सान -इन्सान से घबराता है,

जिसका जहाँ पर दाव चले ,

कुचल के आगे बढ़ जाता है ...

राम ,रहीम और नानक कि ,

फिर से याद दिला दो जी ...

खो गया है भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ...

महंगाई कि चक्की में ,

गरीब पीसता जाता है ...

देश हित कि बात करें जो ,

वो पागल कहलाता है ...

देशभक्ति कि वही ज्वाला ,

फिर से दिलों में जला दो जी ...

खो गया कहीं भारत मेरा ,

ढूंढ़ के कहीं से ला दो जी ....


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