तुम आओगी मिलने एक दिन ,
इस उम्मीद में जिए जा रहा हूँ ...
कौन कमबख्त कहता है मै शराबी हूँ ,
वो तो तेरे इंतजार में पिए जा रहा हूँ ...
चाय कि चुस्कियों में अब स्वाद नहीं आता ,
कुछ भी कहो अब पिए बिना रहा नहीं जाता !
तेरे इंतजार कि घडी इतनी लम्बी हो गई ,
दर्द तन्हाई का अब सहा नहीं जाता ...
कब बीत गई रात कुछ पता ना चला ...
चार जाम पिने तक पुरे होश में था ,
बोतल कब ख़तम हुई कुछ पता ना चला ...
अब तो हर रोज़ का ये काम हो गया,
देख तेरे इश्क में क्या अंजाम हो गया ...
अच्छा होता अगर आने का वादा ना करती,
एक शरीफ इन्सान शहर भर में बदनाम हो गया ...
आज ठुकराया भी तो इस मुकाम पर तुने ,
जब सर पर क़र्ज़ बेशुमार हो गया ...
पहले पीता था तेरे इंतजार में ,
अब दर्द में पिए जा रहा हूँ ,
उठाया था जो बैंक से कर्जा ,
उसे किश्तों में दिए जा रहा हूँ ...
Vartika Nanda Poetry
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अजब संयोग है या दुर्योग
छूटी हुई प्रार्थनाएं याद आती हैं
तीर्थों में छोड़ आई थी उन्हें
लगा था – वे सुरक्षित रहेंगी और अपनी उम्र पा लेंगी
पानी पर लकीरे...
13 घंटे पहले
7 टिप्पणियां:
ब्लॉग अच्छा लगा, कविता भी ठीक लगी.
"कौशिक कि कलम से..."
"अंधेरों कि आदत इस कदर पड़ गई 'कौशिक' कि अब तो चांदनी से भी देर लगता है"
'कि' को 'की' कर लें
हार्दिक शुभकामनाएं
तुम आओगी मिलने एक दिन ,
इस उम्मीद में जिए जा रहा हूँ ...
कौन कमबख्त कहता है मै शराबी हूँ ,
वो तो तेरे इंतजार में पिए जा रहा हूँ ...
wah!
bahut khub likha hai aapne
aap comm me kyu nai post karte....
shaandaar
बहुत सही!!
mast likha hai sir.............ab nahi shaa jata
Bahut Sundar rachana...badhai!
इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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