'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,




तुम दूर क्या गए इतने दिन ,
क्या कहूँ कैसे कहूँ,
कैसे कटते थे दिन तेरे बिन ,

सूना -सूना लगता है जैसे ,
आसमां तारों के बिन ,
रात अँधेरी हो जैसे ,
चंदा के बिन ,
क्या कहूँ कैसे कहूँ ,
कैसे कटते थे दिन तेरे बिन...


जैसे पयासी हो धरती ,
पानी के बिन ,
कैसे बरसेंगे मेघा ,
सावन के बिन ,
क्या कहूँ ........

जैसे कठिन हो रास्ता ,
जाना हो दूर ,
कैसे कटे वो सफ़र साथी बिन ,
क्या कहूँ ,कैसे ......

जैसे मुरझाए हो फूल ,
सुखा हो उपवन ,
कैसे खिले वो ,
बहारो के बिन ,
क्या कहूँ कैसे कहूँ ,
कैसे कटते थे दिन तेरे बिन...

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