'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



ख्वाबों में देखूं तो बड़ी हसीं लगती है जिंदगी ......
खुली आँखों से बड़ी बेजान सी लगती है ज़िन्दगी ...

महफ़िल में जाऊँ तो रंगीन लगती है ये जिंदगी ....
तन्हाई में सोचूं तो गुमनाम है ये जिंदगी .....

खुशिओं के साए में बड़ी छोटी लगती है जिंदगी .....
गम की परछाई में बहुत लम्बी लगती है जिंदगी ....

यूं तो दोस्तों के बिना भी जीते हैं जिंदगी,
पर "कौशिक "यही है जीना तो क्या है जिंदगी...

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