'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



अँधेरे की आदत इस कदर पड़ गई 'कौशिक' कि अब चांदनी से भी डर लगता है ,
एक चिराग ने ही घर जलाया है मेरा कि अब हर रोशनी से डर लगता है !

कोई टिप्पणी नहीं: