अँधेरे की आदत इस कदर पड़ गई 'कौशिक' कि अब चांदनी से भी डर लगता है ,
एक चिराग ने ही घर जलाया है मेरा कि अब हर रोशनी से डर लगता है !
Vartika Nanda Poetry
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अजब संयोग है या दुर्योग
छूटी हुई प्रार्थनाएं याद आती हैं
तीर्थों में छोड़ आई थी उन्हें
लगा था – वे सुरक्षित रहेंगी और अपनी उम्र पा लेंगी
पानी पर लकीरे...
10 घंटे पहले
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