तुम दूर क्या गए इतने दिन ,
क्या कहूँ कैसे कहूँ,
कैसे कटते थे दिन तेरे बिन ,
सूना -सूना लगता है जैसे ,
आसमां तारों के बिन ,
रात अँधेरी हो जैसे ,
चंदा के बिन ,
क्या कहूँ कैसे कहूँ ,
कैसे कटते थे दिन तेरे बिन ,
जैसे प्यासी हो धरती ,
पानी के बिन ,
कैसे बरसेंगे मेघा ,
सावन के बिन ,
क्या कहूँ ........
जैसे कठिन हो रास्ता ,
जाना हो दूर ,
कैसे कटे वो सफ़र साथी बिन ,
क्या कहूँ ,कैसे ......
जैसे मुरझाए हो फूल ,
सुखा हो उपवन ,
कैसे खिले वो ,
बहारो के बिन ,
क्या कहूँ कैसे कहूँ ,
कैसे कटते थे दिन तेरे बिन
Vartika Nanda Poetry
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अजब संयोग है या दुर्योग
छूटी हुई प्रार्थनाएं याद आती हैं
तीर्थों में छोड़ आई थी उन्हें
लगा था – वे सुरक्षित रहेंगी और अपनी उम्र पा लेंगी
पानी पर लकीरे...
10 घंटे पहले
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