'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



आओ एक दूजे को जान ले ...

बिन देखे क्या कहे ,
बिन जाने क्या लिखे ...
कुछ तुम कहो ,
कुछ हम कहे ,
आओ एक दूजे को जान ले ...
जिन्दगी की इस दोड़ में ,
आगे बढने की होड़ में ,
कुछ अपने पीछे छुट गए,
कुछ रिश्ते भी टूट गए ...
मिलना अपना मुमकिन नहीं,
फिर भी अगर मिल जाए कहीं ...
शब्दों की बिना पर,
एक दूजे को पहचान ले ....
कुछ तुम कहो,
कुछ हम कहे,
आओ एक दूजे को जान ले ......

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