'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



' अधुरा गीत '
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क्या गाऊं बता मै तेरे लिए ,
एक सपना है तू मेरे लिए ....
सागर से गहरी आँखें है तेरी ,
झुक गई जो नजरें मिलते ही मेरी ....
एक पल तो लगा हकीकत है कोई ,
आसमान से अप्सरा शायद उतरी है कोई ...

क्या गाऊं ......

जुल्फें काली घटा सी घनेरी ,
गालों को चूमती लट ये तेरी ...
गोरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा ,
हटती नहीं जिससे नज़र ये मेरी ...
ये गीत बनाऊं मै तेरे लिए ,
एक सपना है तू मेरे लिए ....

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