'कौशिक' की कलम से


दिल में आए ख्यालों को लफ्जों में पिरोता हूँ ,लिखने के इस सलीके को लोग नाम शायरी का देते हैं ,



उमर बीत गई उन्हें समझाते समझाते ,पर वो अब तक नहीं समझे ,

बाद मरने के अगर समझे 'कौशिक ',तो फिर क्या समझे ......

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